कर्बला का वाकया हिंदी में | KARBALA KA WAQIA IN HINDI

कर्बला का वाकया हिंदी में KARBALA KA WAQIA IN HINDI इमाम हुसैन कर्बला स्टोरी इन हिंदी कर्बला की कहानी KARBALA KA VAKYA HINDI MEIN PDF

यह कहानी ऐस शख्सियत की है जिसके लिए इस्लाम में कहा जाता है कि आपने अपना सिर कटाकर इस्लाम को बचाया. इमाम हुसैन जिन्होंने दिन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए दुनिया में एक से बढ़कर एक कुर्बानी दी. आइये जाने कर्बला का वाकया कर्बला की कहानी इन हिंदी

कर्बला की पूरी कहानी – KARBALA KI KAHANI

यहाँ जानिये कर्बला की पूरी कहानी KARBALA KI KAHANI IN HINDI – इस कुर्बानी में इमाम हुसैन (रजी.) के छह महीने के बेटे की शहादत और 18 साल के बेटे की शहादत भी शामिल है, इस अजीम शख्शियत का नाम है हुसैन रजी. है

“क़त्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है

इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद”

हाँ यह वही हुसैन है जिनके लिए मोहम्मद साहब [ स.अ.स. ] ने कहा था की -हुसैन मुझसे है और मैं हुसैन से लेकिन फिर भी इंसानियत का दुश्मन यजिद नाम के शख्स ने इमाम हुसैन का क़त्ल कर दिया क्योकि याजिद चाहता था उसकी हर बात मानी जाए और इमाम हुसैन यजीद को खुदा माने.

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कर्बला का वाकया हिंदी में KARBALA KA WAQIA IN HINDI

सुन्नी मुसलमान के चौथे खलीफा और शिया मुस्लिम के पहले इमाम – हजरत अली के पहले बेटे का नाम है हसन रजी. और दुसरे बेटे हुसैन रजी है पैगम्बर मोहम्मद (सल्ल.) साहब की बेटी का नाम है फातिमा जो की हुसैन की मां है

इस तरह पैगम्बर मोहम्मद साहब सल्ल. हुसैन के नाना है. हुसैन को शिया मुस्लिम अपना तीसरा इमाम मानते है पहले इमाम हजरत अली और दूसरे हसन. इनके बाद हुसैन.

कर्बला का वाकया हिंदी में

यहाँ पढ़िए कर्बला का वाकया हिंदी में – KARBALA KA WAQIA IN HINDI – इस्लाम के मुताबिक हुसैन ((रजी), कर्बला अपना एक छोटा सा लश्कर लेकर पहुंचे थे, उनके काफिले में औरतें भी थीं. बच्चे भी थे. बूढ़े भी थे.

इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक 2 मोहर्रम को कर्बला पहुंचे थे. 7 मोहर्रम को उनके लिए यजीद ने पानी बंद कर दिया था. वो हर हाल में उनसे अपनी स्वाधीनता स्वीकार कराना चाहता था.

हुसैन किसी भी तरह उसकी बात मानने को राज़ी नहीं थे. 9 मोहर्रम की रात इमाम हुसैन ने रोशनी बुझा दी और अपने सभी साथियों से कहा कि मैं किसी के साथियो को अपने साथियो से ज़्यादा वफादार और बेहतर नहीं समझता

कल के दिन हमारा दुश्मनों से मुकाबला है. उधर लाखों की तादाद वाली फ़ौज है. तीर हैं. तलवार हैं और जंग के सभी हथियार हैं. उनसे मुकाबला मतलब जान का बचना बहुत ही मुश्किल है.

मैं तुम सब को बखुशी इजाज़त देता हूं कि तुम यहां से चले जाओ, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं होगी, अंधेरा इसलिए कर दिया है कभी तुम्हारी जाने की हिम्मत न हो यह लोग सिर्फ मेरे खून के प्यासे हैं.

यजीद की फ़ौज उसे कुछ नहीं कहेगी, जो मेरा साथ छोड़ के जाना चाहेगा. कुछ देर बाद रोशनी फिर से कर दी गई, लेकिन एक भी साथी इमाम हुसैन का साथ छोड़ के नहीं गया

KARBALA KA WAQIA IN HINDI

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इसके बाद दिन छिपने से पहले तक हुसैन की तरफ से 72 शहीद हो गए. इन 72 में हुसैन के अलावा उनके छह माह के बेटे अली असगर, 18 साल के अली अकबर और 7 साल के उनके भतीजे कासिम (हसन के बेटे) भी शामिल थे.

इनके अलावा शहीद होने वालों में उनके दोस्त और रिश्तेदार भी शामिल रहे. हुसैन का मकसद था, खुद मिट जाएं लेकिन वो इस्लाम जिंदा रहे जिसको उनके नाना मोहम्मद साहब सल्ल. लेकर आए.

हुसैन ने फ़ौज से मुखातिब होकर कहा कि अगर तुम्हारी नजर में हुसैन गुनाहगार है तो इस मासूम ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. इसको अगर दो बूंद पानी मिल जाए तो शायद इसकी जान बच जाए. उनकी इस फरियाद का फ़ौज पर कोई असर नहीं हुआ. बल्कि यजीद तो किसी भी हालत में हुसैन को अपने अधीन करना चाहता था.

यजीद ने हुर्मला नाम के शख्स को हुक्म दिया कि देखता क्या है? हुसैन के बच्चे को ख़त्म कर दे. हुर्मला ने कमान को संभाला. तीन धार का तीर कमान से चला और हुसैन की गोद में अली असगर की गर्दन पर लगा.

छह महीने के बच्चे का वजूद ही क्या होता है. तीर गर्दन से पार होकर हुसैन के बाजू में लगा. बच्चा बाप की गोद में दम तोड़ गया. 71 शहीद हो जाने के बाद यजीद ने शिम्र नाम के शख्स से हुसैन की गर्दन को भी कटवा दिया

बताया जाता है कि जिस खंजर से इमाम हुसैन के सिर को जिस्म से जुदा किया, वो खंजर कुंद धार का था. और ये सब उनकी बहन ज़ैनब के सामने हुआ. जब शिम्र ने उनकी गर्दन पर खंजर चलाया तो हुसैन का सिर सजदे में बताया जाता है

KARBALA STORY IN HINDI

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हुसैन ने हर ज़ुल्म पर सब्र करके ज़माने को दिखाया कि किस तरह ज़ुल्म को हराया जाता है. हुसैन की मौत के बाद अली की बेटी ज़ैनब ने ही बाकी बचे लोगों को संभाला था, क्योंकि मर्दों में जो हुसैन के बेटे जैनुल आबेदीन जिंदा बचे थे. वो बेहद बीमार थे. यजीद ने सभी को अपना कैदी बनाकर जेल में डलवा दिया था.

इस्लाम के अनुसार यज़ीद ने अपनी सत्ता को कायम करने के लिए हुसैन पर ज़ुल्म किए. इन्हीं की याद में शिया मुस्लिम मोहर्रम में मातम करते हैं और अश्क बहाते हैं. हुसैन ने कहा था, ‘ज़िल्लत की जिंदगी से इज्ज़त की मौत बेहतर है. यह थी

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