दूरबीन का आविष्कार किसने किया था | DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA

दूरबीन का आविष्कार किसने किया था और कब DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार कब किया DURBIN KA AVISHKAR KAB HUA THA दूरबीन का आविष्कार कब हुआ

DURBIN का इतिहास काफी पुराना है लेकिन सवाल यह है दूरबीन का आविष्कार किसने किया था और कब किया ? दूरबीन को अगर आपने प्रयोग किया होगा तो दूरबीन आपको किसी जादू से कम नहीं लगता होगा

क्योकि दूरबीन दूर की वस्तुवों को पास और पास की वस्तुवों को दूर दिखाती है तो आप जरूर जानना चाहते होंगे इस जादू के बारे मे मतलब दूरबीन के बारे मे या दूरबीन का आविष्कार कैसे हुआ ?

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दूरबीन का आविष्कार किसने किया था DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA

दूरबीन का आविष्कार किसने किया था

यहाँ जानिए दूरबीन का आविष्कार किसने किया था DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA – रबीन बनाने का श्रेय होलेण्ड शहर के एक व्यापारी को जाता है दूरबीन का आविष्कार हंस लिपर्सहे ने किया था। हालांकि गैलीलियो ने भी अपनी दूरबीन स्वयं बनाई थी।

दूरबीन का इतिहास

यहाँ जानिए दूरबीन के अविष्कार का इतिहास – कहते है होलेण्ड शहर एक व्यापारी रहता था जिसका कारोबार चश्मे बनाने का था और इस व्यापारी का नाम हैंस लिपरशे था और साथ मे मेहनती भी, हैंस लिपरशे के पास कई तरह के सुंदर सुंदर काँच थे हैंस लिपरशे का एक बेटा भी था जो बहुत ही शैतान था

बेटा रंग बिरंगे काँच के टुकड़ो से दिन भर खेलता रहता और उन पर सूरज की रोशनी डाल कर सबको परेशान किया करता पर लड़का था दिमाग का तेज और लड़के को कुछ भी जानने के लिए जिज्ञाशा होती रहती थी

एक दिन स्कूल की छुट्टी थी तो हैंस लिपरशे ने अपने बेटे को अपने साथ अपनी दुकान पर ले गया और लड़के के सामने काँच के टुकड़ो की एक बड़ी सी टोकरी रख दी और लड़के से कहा इन सब कांचो को अलग अलग टोकरी मे एक साथ करके रख दे

टोकरी मे छोटे बड़े रंग बिरंगे कई तरह के काँच के टुकड़े थे | और यह काँच के टुकड़े दिखने मे बहुत सुंदर लग रहे थे जिन्हे देखकर लड़के के मन मे सवाल आ रहा था की यह काँच किसने बनाया होगा अब लड़के ने यही सवाल अपने पिता जी से पूछ लिया की यह काँच किसने बनाया ? या फिर यह जमीन से पैदा होता है

दूरबीन की कहानी  STORY OF DURBIN

आप पढ़ रहे दूरबीन की कहानी  STORY OF DURBIN – हैंस लिपरशे ने लड़के से कहा की यह जमीन से पैदा नहीं होता और काँच की खोज तुम जैसे एक बच्चे ने खेल खेल मे कर दिया बेटा ने आगे पूछा वह कैसे

हैंस लिपरशे ने कहा की मिस्र देश का रेगिस्तान बहुत बड़ा है वहा ऊँटो के काफिले कई दिनो तक चलते है और अपनी सुइधा अनुसार रेगिस्तान मे ही पड़ाव डाल लेते है ऐसा आप मान सकते है की इन काफिलो का रेगिस्तान मे ही दिन होता है और वही रात आप कह सकते है की इनका रेगिस्तान ही घर होता है यह जहा रुकते थे वही खाना बनाते है और आराम करते है फिर धीरे धीरे आगे बढ़ते है

ऐसे ही एक काफिले मे बहुत से लोग ओर बच्चे थे और चारो तरफ रेगिस्तान, पानी का कही नामो निशान नहीं, रात हुई तो काफिले ने रेट पर चूल्हा बनाया और फिर उस पर खाना बनाया और खाना बनाने के बाद चूल्हा बुझा दिया फिर सब लोग खाना खाकर ठंडी रेट पर लेट गए

जब सवेरा हुआ सब लोग समान बांध कर आगे बढ्ने की तैयारी करने लगे और रात मे जहा खाना बनाया था वाहा कुछ बच्चे खेलने लगे खेल खेल मे कुछ बच्चे चूल्हे की राख़ वहाँ से हटा के इधर उधर फेकने लगे | अचानक एक बच्चे ने देखा की राख़ के नीचे कोई सख्त सी वस्तु है और वस्तु के आर पार रेत भी साफ दिखाई दे रहा है

उस वस्तु को बच्चो ने पहले हैरानी से देखा फिर बड़े लोगो को बुलाकर उस वस्तु को दिखाया | उस वस्तु को देखकर बड़े लोग भी हैरान रह गए उस वस्तु के ऊपर से सबने मिलकर जमी राख़ साफ साफ की फिर उन्होने पाया की यह ऐसी वस्तु है जिसके आरपार देखा जा सकता है

सबने एक दूसरे से पूछा की क्या चूल्हा जलाने से पहले कोई चीज किसी ने राखी थी ? सबने यही कहा नहीं तो फिर उन्हे पता चला की रेत पिघल कर काँच बन गई है फिर ऐसे रेत से काँच बनाना आरंभ हुआ और यह केवल एक शैतान लड़के की वजह से हो पाया क्योकि अगर वह शैतान लड़का राख न हटाता तो कोई काँच के बारे मे न जान पाता

STORY OF DURBIN IN HINDI

READ COMPLETE STORY OF DURBIN IN HINDI – अब Hans Lippershey की कहानी खत्म हो गई और उसने अपने बेटे से कहा अब मुझे परेशान करना बंद करो और जाओ अब बाकी के काँच के टुकड़े छाँट कर रखो फिर बेटे ने टोकरी उठाई और बैठ कर काँच छांटने लगा ऐसा करते करते लड़के ने काँच उठाया और उनके आरपार देखने लगा

एक के बाद एक काँच को लड़का उठाता ओर उनके आरपार देखता फिर उसने कई काँच को एक साथ उठाया और उनको मिलाकर देखने लगा ऐसा करते ही वह लड़का डर गया क्योकि लड़के के सामने जो गिरजाघर का मीनार था वह लड़के को बिलकुल नजदीक दिख रही थी लड़के को लगा यह कोई भरम है तो उसने फिर से देखा और लड़को को फिर मीनार बहुत ही पास नजर आई

DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA

READ HERE COMPLETE STORY – DURBIN KA AVISHKAR KISNE KIYA THA

अब लड़का सोचने लगा की यह बात अपने पापा को बताए या नहीं…. कही पापा गुस्सा न हो … काही यह जादू वाला काँच तो नहीं फिरसे देखने लगा लड़के को फिर वही नजर आया ….. अब वह चिल्लाया पापा ….

इधर आओ यह जादू वाला काँच है हैंस लिपरशे भाग के आए ओर लड़के के हाथ से काँच के टुकड़े लिए जब हैंस लिपरशे ने काँच के आरपार देखा तो उस्ङ्को भी मीनार बहुत नजदीक दिखने लगी ओर फिर उन्होने ऐसा कई बार किया लेकिन हैंस लिपरशे जल्दी ही इस विज्ञान को समझ गए और वह खुश हुए और खुशी के मारे अपने बच्चे को उठा कर नाचने लगे

अब भी लड़का परेशान था और पापा से पूछा की क्या हुआ तब हैंस लिपरशे ने अपने बेटे से बताया की बेटा तुमने अनजाने मे एक आविष्कार कर दिया है दूर की वस्तु नजदीक से देखने का तरीका खोज दिया है

अब हम एक यंत्र बनाएँगे इससे हमारा नाम भी दुनिया मे होगा फिर हैंस लिपरशे ने ठीक वैसे ही काँच को लगाकर एक दूरबीन बनाई और इस तरह दुनिया की पहली दूरबीन बनी लेकिन बधाई का असली हकधार हैंस लिपरशे का बेटा है जिसने अंजाने मे इतना बड़ा आविष्कार किया

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