शिमर की मौत कैसे हुई थी SHIMAR KI MAUT KAISE HUI THI IN ISLAM – शिमर इब्न जिल्जुशन या शिमर बानू किलाब जनजाति से जिल्जुशन का पुत्र था जो अरब के हौजिनिनी क़सीद जनजातियों में से एक था।
हज़रत अब्बास इब्न अली की मां उम्म उल-बानिन भी बनू किलाब जनजाति से थीं। इस्लाम में शिमर की एक अत्यचारी प्रतिष्ठा है। वह याजीद प्रथम के प्रति निष्ठा का भुगतान करने और इब्न ज़ियाद की उमाय्याद सेना में शामिल होने से पहले खारीज नेता था।
वह उस व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसने कर्बला की लड़ाई में इस्लामी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सहाब के नवासे हज़रत हुसैन रजी इब्न अली को शहीद करने वाला
शिमर की मौत कैसे हुई थी
यहाँ जानिए शिमर की मौत कैसे हुई थी SHIMAR KI MAUT KAISE HUI THI – इस्लाम के इतिहास में शिमर को अंततः हज़रत अल-मुख्तार ताकाफी के सैनिकों ने मार डाला था, जिन्होंने हज़रत हुसैन और उनके परिवार के हत्यारों पर बदला लेने की कामना की थी। शिमर शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिया थे और जंगली कुत्तों द्वारा नुचबाया गया था।
शिमर, यह वही मलून है जिसके बारे में हजुर पाक ने फ़रमाया था – एक काला सफ़ेद कुत्ता, मेरी ओलाद का खून पिएगा, 9 मुहर्रम 61 हिजरी को शिमर अपने 4 हजार फ़ौज लेकर कर्बला पंहुचा.
SHIMAR KI MAUT KAISE HUI THI
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कर्बला का वाक्या सुने – एक रियायत के मुताबिक़ शिमर ही हजरत इमाम हुसैन रजी अल्लाह ताला अंहो को शहीद करता है और अपने घोड़े हुसैन इब्ने अली के मुबारक जिस्म पर दौड़ा देता है फिर इनके सीने पर बैठकर, इनका मुक़द्दस सिर काट देता है. अल्लाह की लानत हो इस पर. शिमर को ब्रश की बिमारी थी इसकी वजह से उमके मुह पर काले और सफ़ेद निशान थे, कर्बला के वाक्ये के बाद शिमर कुफा चला जाता हैं.
66 हिजरी में शिमर मुख़्तार के खिलाफ जंग में हिस्सा लेता है लेकिन शिमर की हार होती है फिर वह वहा से भाग जाता है. मुख्तार के साथी शिमर का पीछा करते हुए और उस तक पहुच जाते है
शिमर का क़त्ल करके उसका सर काटकर ले आते है और इसके जिस्म को कुत्ते के आगे फेक देते है. अहले बेत का सर काटने वाला यह मलून इस तरह से अपने अंजाम तक पहुच जाता है या फिर इस तरह से शिमर की मौत हुई थी अल्लाह हमारे दिलो को अहले बैत के मोहब्बत से भर दे – आमीन