यज़ीद कौन था कैसे मरा किसने मारा | YAZEED KI MAUT KAISE HUI

यज़ीद कौन था कैसे मरा किसने मारा YAZEED KI MAUT KAISE HUI हुसैन को किसने मारा यजीद की कब्र कहां है – Yazeed ko kisne Mara tha Yazeed ki maut kaise hui

आपको बता दे कर्बला की जो जंग हुई थी यह यजीद और इमाम हुसैन के दरमयान नहीं थी बल्कि यह हुसैनियत और यजीदियत के दरम्यान की लड़ाई थी क्योकि अगर दो लोगो के बीच की लड़ाई होती तो यजीद जीत गया था यह सभी को पता है इमाम हुसैन शहीद हो गए थे और यजिद तख्तेताज पर काबिज हो गया था.

मगर यह लड़ाई नजिरियत की थी इसलिए यजीदियत हार गई और हुसैनियत आज भी जिन्दा है साथ ही इस लड़ाई के साथ यजीदियत का जनाजा निकल गया . वह तख्तोताज जिसके लिए यजीद ने इतना कुछ किया था. उस तख़्त पर उसके अपने बेटे ने ही थूका.

तुम जितना तरासोगे, उतना ही खरा होगा, यह इस्लाम का पौधा है जितना काटोगे उतना ही हरा होगा

न यजीद का वो सितम्ब रहा न ज्याद की रही वह जफा रहा तो नामे हुसैन जिसे ज़िंदा रखती है कर्बला

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यज़ीद कौन था कैसे मरा किसने मारा YAZEED KI MAUT KAISE HUI

यज़ीद कौन था कैसे मरा किसने मारा ?

यजीद को एक भयानक बिमारी हो गयी जिस कारण यजीद बिमारी का गिरफ्तार हो गया, यजिद की बिमारी का यह हाल था की कौलेंज की बिमारी के कारण यह हाल था कि उसकी आंते जलने लगी थी

वहां के हाकिम परेशान होकर कहने लगे ” यह कैसी बत्तरिन बिमारी ” है की इसमें पेत अन्दर से जल रहा था ?
इस बिमारी के कारण यजीद को इतनी प्यास लगती थी कि वह पानी के लिए तरसता था लेकिन जब यजिद पानी पीता था तो वही पानी यजिद के पेट को जलाता था.

इस कारण यजीदअपना सर पिटता रहता था और उसके महल के लोग यजीद को देखकर यह कहते थे कि यह अजाब हुसैन इब्न अली को प्यासा रखने के बदौलत है.

यजीद वकत का बादशाह होने के बाद भी, पानी की एक एक बूंद के लिए तरसता था, जब यजीद अपनी बिमारी की इन्तहा को पहुच गया तो अपने बेटे को बुलाकर कहा कि बेटा, मेरा अब कुछ भरोसा नहीं, मुझे मौत कभी भी आ सकती है.

इसलिए अब तू मेरे तख़्त को संभाल यानी अब तू मेरे तख़्त पर बैठ जा लेकिन यजिद का बेटा मुआविया तख़्त पर बैठने के लिए राजी नहीं हुआ. और यजीद से कहने लगा – कि जैसे जमाना आप पर लानत कर रहा है वैसे ही मुझ पर भी लानत करे, नहीं, हरगिज नहीं, मैं इस तख़्त पर नहीं बैठूँगा.

YAZEED KAISE MARA THA | YAZEED KI MAUT KAISE HUI

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यह तख़्त नवासे रसूल के खून से आलूदा है, इसलिए मैं इस तख़्त पर लानत करता हूँ, इसके बाद यजीद की बिमारी और भी बढ़ गयी और अरब के हर किस्म के नशे, यजिद के सामने पेश किया जाने लगा ताकि यजीद को बिमारी का दर्द महसूस न हो, और वह हर वक्त नशे में रहे, और वह प्यास के लिए तड़पे न.

इसी नशे की हालत मन यजीद अपने सिपाहिओ से कहने लगा, मेरा वह बन्दर कहाँ है जो हमेशा मेरे साथ रहता है, तो फिर सिपाहिओ ने कहाँ की शायद वह जंगल की तरफ गया होगा.

यजीद अपने सिपाहियों के साथ घोड़े पर बैठकर जैसे ही बाहर गया तो घोड़े ने नवासे रसूल के कातिल को अपने पीठ से गिरा दिया और यजीद का पाँव घोड़े के रकाब में फंस गया वह घोडा दौड़ता रहा और यजीद जमीन पर गिरते हुए उसका सिर एक पत्थर से जा टकराया, मगर वह घोडा न रुका.

यहाँ तक कि यजीद का पूरा जिस्म खून से लतपथ हो गया यजीद की फ़ौज ने, जब यजीद की लाश को देखा तो वह कहने लगे हुसैन इब्ने अली के खून की यही सजा है. यजिद इस तरह बहुत ही जिल्लत की मौत मरा जबकि कर्बला में इमाम हुसैन का रोजा चमकता हुआ वहां पर आज भी मौजूद है और वहां पर लोगो का ताता लगा रहता है

यजीद की कब्र कहाँ है

तो आपको बता दे यजीद की कब्र मजुले दमस्क में है, यह जगह दम्शक में है, जहाँ लोग कूड़ा फेकते है और इस कूड़े के नीचे कही यजीद की कब्र है, मगर निशान भी नहीं कहाँ है, लेकिन इतना पता है की इस कूड़े के नीचे ही कही यजीद की कब्र है

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